प्रीत रंग मोहे ऐसन लागी,छोड़े न छुटी जाय.
बदरी देखूं सावन गगन में, तोरे बिरह में जिया अकुलाय .
हमका छोड़ गयों निर्मोही ,त्याग गयों निज गाँव.
कंसारी नाम मथुरा बसत हैं ,कित गयो हमरो श्याम.
कित छोड़ी मोहन मुरली ,माखन मिश्री भोग ,
कृष्ण मुरारी लौट आ , तडपाये बिरह का रोग .
राधा राधा न पुकारे बंशी ,यमुना तट सुनसान.
दरश को तेरे तडपत अँखियाँ ,कैसे सम्भालूँ रे प्राण.
सुख धन स्वर्ग का मोह हमे ना , नाहि कलंक का भय ताप.
तेरो साथ मिले जो कान्हा , मिटे जनमों का संताप .
माधब मनोहर कृष्ण मुरारी, तुहूँ मम प्रानक प्राण .
तेरो चरण स्पर्श से कान्हा कांटा कमल समान.
krishn murari...loat aa....
ReplyDeleteab naa mohe you tarsha ......bahut ...sundar.,,,,,,
dhanyabad gurjar ji....bahut bahut dhanyabad
ReplyDeleteap par aur apke parivar par mata rani ki kripa bani rahe.. Subh Navratri
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