तुम मेरी राखो लाज हरि: सूरदास जी : अनमोल खजाना ( My favorite song .......)
तुम मेरी राखो लाज हरि,
तुम जानत सब अन्तरयामी.
करनी कछु न करी,
तुम मेरी राखो लाज हरि.
औगुन मोसे बिसरत नाहीं,
पल चिन घरी घरी.
तुम मेरी राखो लाज हरि,
दारा, सुत, धन, मोह लिये हौं.
सुध बुध सब बिसरी,
अब मोरी राखो लाज हरि.
सूर पतित को बेगि उबारो,
अब मोरी नांव भरी.
तुम मेरी राखो लाज हरि.
तुम जानत सब अन्तरयामी.
करनी कछु न करी,
तुम मेरी राखो लाज हरि.
औगुन मोसे बिसरत नाहीं,
पल चिन घरी घरी.
तुम मेरी राखो लाज हरि,
दारा, सुत, धन, मोह लिये हौं.
सुध बुध सब बिसरी,
अब मोरी राखो लाज हरि.
सूर पतित को बेगि उबारो,
अब मोरी नांव भरी.
तुम मेरी राखो लाज हरि.
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