दर्शन दो घनश्याम :
भजन : सूरदास जी : अनमोल खजाना
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे...
मन मंदिर की ज्योत जगा दे , घट घट के वासी रे,
मन मंदिर की ज्योत जगा दे , घट घट के वासी रे,
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे...
मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी ना दिखे सूरत तेरी,
युग बीते ना आई मिलन की पूर्णमासी रे...
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे...
द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर मैं गूंगा बोले,
युग बीते ना आई मिलन की पूर्णमासी रे...
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे...
द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर मैं गूंगा बोले,
अंधा देखे लंगडा चले, कर पहुंचे कासी रे..
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे...
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे...
चंद्राणी जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
दर्शन दो घनश्यामनाथ मोरी अंखियां प्यासी रे …
बहुत सुंदर भजन है … बचपन में मेरे बाबूजी से सुना करता था
इसका एक अंतरा यह भी है
पानी पी'कर प्यास बुझावूं
नैनन को कैसे समझावूं
आंखमिचौली छोड़ो अब तो , घट के वासी रे
दर्शन दो घनश्यामनाथ मोरी अंखियां प्यासी रे …
बहुत ख़ुशी हुई आपके यहां आ'कर
हार्दिक आभार और मंगलकामनाएं !
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
Rajendra ji , anek anek dhanyabad, ap yeha aye, har ek post post ko padha, saraha... mein bahut bahut abhari hoon apki.... apne is bhajan ke antare ko pura kar ke , is anmol khajane ko pura kar diya......ate rahiyega. Raksha Bandhan aur Swatantrata dibas ki subhkamnayein apko bhi.
ReplyDeletepreet tumhari sanchi hai ,ye such hai tum krishn ki dasi ho ,,,
ReplyDeletedhanybad gurjar ji ..
ReplyDelete