तेज भयो अँधियारा ,
बिजली नाचत , सावन गगन में,
काँपत हिय नन्दलाला .
तुम बिन कौन सहारा .
राह चुनू जो तुम तक जाये,
तुम बिन कछु न सुहाए ,
लोभ मोह से धुंदला अंतर
राह भुलाता जाये ,
कैसे आऊँ दर तक तेरे ,
तू जो न हो राह दिखाने वाला ,
तुम बिन कौन सहारा .
आकर थामो कलैया मेरी ,
माधब मन मोहना .
तुम बिन कौन सहारा .
bahut sunder kanaha ke liye likhi prem ki chitthi .asha karte hai .kanah jaroor pade.....
ReplyDeleteकितने रूप मेरे कितने रंग है
ReplyDeleteहर वक़्त कन्हिया अपने चाहने वालों के संग है
थोडा नटखट हूँ पर साफ़ मेरा मन हे
कितने रूप मेरे कितने रंग है
dhanyabad Gurjar ji... kanha har rup har rang mein mera sath nibhate rahe..bas yhi mangti hoon kanha se..
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